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11 महीनों के लिए ही क्यों होता है रेंट अग्रीमेंट, जानिए

11 महीनों के लिए ही क्यों होता है रेंट अग्रीमेंट, जानिए

11 महीनों के लिए ही क्यों होता है रेंट अग्रीमेंट, जानिए
(Dreamstime)
26 साल के आकाश श्रीवास्तव को उनकी कंपनी ने तीन साल के लिए गुड़गांव ट्रांसफर कर दिया। यहां उन्हें किराये का घर ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। एेसा नहीं है कि मिलेनियम सिटी में श्रीवास्तव के बजट में फिट होने लायक घरों की कमी है, लेकिन कोई भी मकान मालिक 36 महीने के लिए घर किराये पर देने को राजी नहीं हुआ। उनकी कंपनी ने शर्त रखी कि अगर उन्हें हाउस रेंट अलाउंस क्लेम करना है तो 36 महीने का अग्रीमेंट होना चाहिए।  
 
यह देखकर आकाश सोच में पड़ गए कि भारत में 11 महीनों के लिए ही रेंट अग्रीमेंट क्यों होते हैं? एेसा इसलिए क्योंकि अगर किरायेदार एक महीने और रह गया तो रेंट कंट्रोल एक्ट लागू हो जाएगा। साथ ही भारत में किराये पर दी गई संपत्ति पर मकानमालिकों के अधिकार सीमित हो जाएंगे।  
 
यह कैसे काम करता है:
यह हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि रेंट अग्रीमेंट्स 11 महीनों के लिए साइन किए जाते हैं, क्योंकि अगर 12 महीनों के लिए अग्रीमेंट साइन किया गया तो रेंट कंट्रोल कानून लागू हो जाएगा। और इसके नतीजे बहुत बुरे होंगे। उदाहरण के तौर पर लीज अग्रीमेंट्स, जो रेंट कंट्रोल कानूनों द्वारा कवर किए जाते हैं, में किराया राज्य सरकार निर्धारित करती है। इस मामले में इमारत के निर्माण की लागत और जमीन की मार्केट वैल्यू ही किराया तय करती है। किराया लागत और निर्माण के वर्ष पर आधारित होता है और मकानमालिक किराए में हेरफेर करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते।
 
इस प्रकृति में लीज अग्रीमेंट के तहत किराए पर दी गई संपत्ति का मालिकाना हक अनिश्चित समय के लिए किरायेदार को स्थानांतरित किया जाता है। इससे मकानमालिकों के लिए समस्या पैदा हो जाती हैं, क्योंकि कई मामले एेसे देखे गए हैं, जिसमें किरायेदारों ने घर खाली करने से मना कर दिया। लेकिन 11 महीनों के रेंट अग्रीमेंट ने जमींदारों को ज्यादा अधिकार दिए हैं, क्योंकि वे वर्तमान बाजार के मुताबिक किराया और शर्तें तय कर सकते हैं। वे अब सिर्फ 11 महीनों के लिए किरायेदारों को रहने का अधिकार देते हैं, जबकि लीज का आवधिक नवीकरण भी संभव है।     
Last Updated: Tue Sep 15 2020

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