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रीसेल फ्लैट खरीद रहे हैं तो होम लोन पाने के लिए इन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत

रीसेल फ्लैट खरीद रहे हैं तो होम लोन पाने के लिए इन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत

रीसेल फ्लैट खरीद रहे हैं तो होम लोन पाने के लिए इन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत
India Mortgage Guarantee Corporation is urging the Reserve Bank of India (RBI) to bring down the loan-to-value ratio to 90 per cent. (PicServer)
अगर आप खुद को प्री-ईएमआई से बचाना चाहते हैं और एेसा घर चाहते हैं, जिसमें आप तुरंत रहने लगें तो आपको रीसेल प्रॉपर्टी के लिए होम लोन अप्लाई कर देना चाहिए। एक रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए आपको कई अहम दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी
 
मकानआईक्यू आपको उन डॉक्युमेंट्स के बारे में बता रहा है, जिनकी जरूरत आपको रीसेल प्रॉपर्टी के लिए होम लोन अप्लाई करते वक्त पड़ेगी। यह जरूरी है कि उधार देने वाले प्रॉपर्टी को कानूनी नजरिए से वेरिफाई कर लें, क्योंकि प्रॉपर्टी का सुरक्षित मालिकाना हक होना चाहिए और उस पर किसी तरह का लंबित बकाया नहीं होना चाहिए। अगर कोई भी दस्तावेज गायब रहता है तो यह आगे चलकर आपके लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं
 

बिक्री नामे की कड़ियां :

 
यह वो दस्तावेज है, जिसके जरिए मालिकाना हक खरीददार के नाम ट्रांसफर किया जाता है। इसे ''इमिडियेड टाइटल डीड (आईटीडी)'' कहा जाता है। अगर आप यह दस्तावेज जमा नहीं करते तो किसी भी स्थिति में बैंक आपके होम लोन आवेदन को स्वीकार नहीं करेगा। आईटीडी से पहले अन्य सभी दस्तावेजों को चेन दस्तावेज कहा जाता है। अगर इस चेन का कोई भी दस्तावेज गायब रहता है तो होम लोनआवेदक को एफआईआर फाइल करने या अखबार में सार्वजनिक नोटिस निकालने जैसे अहम कदम उठाने चाहिए। टाइटल डीड दिखाता है कि घर की बिक्री हो गई है और विक्रेता ने खरीददार को प्रॉपर्टी का मालिकाना हक सौंप दिया है। टाइटल/सेल डीड संपत्ति का दस्तावेज होता है, जो भविष्य में बिक्री के लिए मालिकाना हक का प्राथमिक सबूत होता है। यह दस्तावेज रजिस्ट्रार के अॉफिस में रजिस्टर्ड होता है।
 

बेचने का अग्रीमेंट (ATS) :

अग्रीमेंट टू सेल वह दस्तावेज होता है, जिसमें खरीददार और विक्रेता के बीच प्रॉपर्टी बेचने की शर्तें व नियम लिखी होती हैं। एटीएस संपत्ति की अग्रीमेंट वैल्यू घोषित करता है। रीसेल प्रॉपर्टी के लिए बतौर होम लोन दिया गया पैसा मार्केट वैल्यू या अग्रीमेंट वैल्यू का एक निश्चित प्रतिशत (विभिन्न बैंकों में यह अलग-अलग हो सकता है) होता है। असल में एटीएस के आधार पर बिक्रीनामे का मसौदा तैयार किया जाता है।
  

सोसाइटी या अथॉरिटी से एनओसी:

नो अॉब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) यह प्रमाणित करता है कि भावी संपत्ति खरीददार के पक्ष में शेयर सर्टिफिकेट ट्रांसफर करने में सोसाइटी को कोई आपत्ति नहीं है। भविष्य में इस सर्टिफिकेट के बिना किसी तरह की बिक्री या प्रॉपर्टी के ट्रांसफर में परेशानी खड़ी हो सकती है। को-अॉपरेटिव हाउसिंग सोसाइटीज (सीएचएस) से जुड़े समझौतों में इस एनओसी की जरूरत पड़ती है। 
 

टाइटल सर्च और रिपोर्ट:

प्रॉपर्टी टाइटल सर्च वह प्रकिया है, जिसमें प्रॉपर्टी के अतीत से जुड़े सभी दस्तावेजों को फिर से देखा जाता है। यह काम रजिस्ट्रार के दफ्तर में होता है। टाइटल रिपोर्ट में प्रॉपर्टी का लिखित विश्लेषण होता है, जिसमें उसके मालिकों के नाम, संयुक्त किरायेदार, टैक्स रेट, एन्कम्ब्रन्स, ग्रहणाधिकार (लियन), गिरवी और प्रॉपर्टी टैक्स की जानकारी होती है। होम लोन देने वाले टाइटल रिपोर्ट को एक जरूरी दस्तावेज नहीं मानते, लेकिन जमीन से जुड़े समझौतों में इसकी जरूरत पड़ती है।
 

शेयर सर्टिफिकेट:

अगर रेडी टू मूव इन प्रॉपर्टी, जो आप खरीद रहे हैं, वह सोसाइटी का हिस्सा है तो आपको प्रॉपर्टी अपने नाम शिफ्ट करानी होगी। इसके लिए सोसाइटी से कहकर शेयर सर्टिफिकेट जारी कराना और उनके रिकॉर्ड्स में मालिकाना हक के ट्रांसफर का रिकॉर्ड बनाने के लिए कहना होगा। शेयर सर्टिफिकेट दस्तावेजों की कड़ी का अहम दस्तावेज है, जिसे आपको रीसेल होम लोन के लिए अप्लाई करते वक्त बैंक के पास जमा कराना होगा। 
 

अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट (OC):

यह प्रमाणित करता है कि जो प्लान प्राधिकरण ने मंजूर किया था, प्रॉपर्टी उसी के तहत बनाई गई है। यह दस्तावेजों की कड़ी का जरूरी हिस्सा है, जो प्रॉपर्टी की कानूनी वेरिफिकेशन केलिए भी इस्तेमाल होता है। ओसी बताता है कि प्रॉपर्टी कानूनी तौर पर बनाई गई है और रहने के लिए सही है। निर्माण शुरू करने का सर्टिफिकेट, कंप्लीशन सर्टिफिकेट, मंजूर किए गए प्लान की कॉपी, टैक्स की रसीदें, संबंधित प्राधिकरण से एनओसी, प्रॉपर्टी की तस्वीरें और एरिया कैलकुलेशन शीट जैसे दस्तावेज दिखाकर ओसी सर्टिफिकेट हासिल किया जा सकता है। 
 

एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट:

यह दस्तावेज बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई लंबित बकाया नहीं है और टाइटल एक दम साफ है। यह सर्टिफिकेट प्रॉपर्टी से जुड़े सभी लेनदेन दिखाता है। प्रॉपर्टी बेचने के वक्त बैंक आपसे यह दस्तावेज मांगता है, ताकि प्रॉपर्टी के अब तक के लेनदेन की जानकारी हासिल की जा सके।   
Last Updated: Thu Dec 15 2022

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