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7/12 एक्स्ट्रैक्ट है जमीन के मालिक होने का सबूत, जानिए इसकी अहमियत

7/12 एक्स्ट्रैक्ट है जमीन के मालिक होने का सबूत, जानिए इसकी अहमियत

7/12 एक्स्ट्रैक्ट है जमीन के मालिक होने का सबूत, जानिए इसकी अहमियत
(Shutterstock)
महाराष्ट्र के ग्राम पंचायत इलाकों में जमीन खरीदने के लिए कई दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है। उन्हीं में से एक है 7/12 दस्तावेज, जिसे सात बारह उतारा भी कहा जाता है। महाराष्ट्र राज्य का राजस्व विभाग इसके जरिए हर जिले की भूमि का रिकॉर्ड रखता है।
 

7/12 का मतलब क्या है?

इस दस्तावेज का मतलब है कृषि उपयोग से जुड़ी जमीन के स्वामित्व, अधिभोग अधिकार व देनदारियों से जुड़ी जानकारियां। यह एक्स्ट्रैक्ट हर गांव के लिए अलग-अलग मेंटेन किया जाता है। यह दस्तावेज गैर कृषि भूमि के लिए भी जरूरी होता है। यह दस्तावेज जमीन के स्वामित्व के सबूत के रूप में काम करता है, लेकिन निर्णायक सबूत के बजाय सांकेतिक सबूत के तौर पर। इस एक्सट्रैक्ट में ये जानकारियां होती हैं:
 
-म्यूटेशन नंबर्स
-कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल
-गैर कृषिभूमि का क्षेत्रफल
-टैक्स का भुगतान
-बाउंड्री और सर्वे टिप्पणियां
-फसल का मौसम
-ली गई फसल का प्रकार
-खेती का प्रकार- सिंचित या वर्षायुक्त
-मालिक के अलावा किसी अन्य किसान का नाम अगर कोई है तो
-सरकारी एजेंसियों द्वारा जमींदार को दिया गया लोन
-बीज, कीटनाशक या उर्वरक खरीदने के लिए दिया गया लोन या सब्सिडी
-अगर अधिकार उत्तराधिकारी के पास हैं तो उन वारिसों के नाम जिनके पास जमीन वास्तविक तौर पर कब्जे में नहीं है।

7/12 के प्रकार:

 
यह दस्तावेज के दो प्रकार हैं:
 
-फॉर्म VII में रहने वालों, मालिकों या जमीन गिरवी रखने वाले लोगों के नाम, धारकों के अधिकार और दायित्वों के अलावा प्लॉट और फसल की जानकारी शामिल होती है।
 
-फॉर्म XII में भूमि पर पैदा होने वाली फसल, उसके प्रकार, खेती योग्य क्षेत्र और भूमिगत भूमि की जानकारी होती है।  
 

कैसे पढ़ें 7/12 दस्तावेज:

 
1. गांव: वह जगह जहां भूमि स्थित है।
 
2. तहसील: जिले का सब-डिविजन
 
3. भूमापन क्रमांक: महाराष्ट्र भूमि राजस्व नियम, 1969 के नियम 3 के तहत राज्य के राजस्व विभाग द्वारा मुहैया कराया गया सर्वे नंबर
 
4. भूमापन क्रमांकचा उपविभाग: सर्वे नंबर का सब-डिविजन।
 
5.बुद्धराणा पद्धति: यह अधिभोग या अॉक्युपेंसी को दर्शाता है। यह एक जरूरी कॉलम होता है। निवासी दो तरह के होते हैं-क्लास 1 और 2। क्लास 1 के निवासी जिलाधिकारी की मंजूरी के बिना कृषि भूमि को ट्रांसफर करा सकते हैं, जबकि क्लास 2 वे किरायेदार होते हैं, जिन्होंने बॉम्बे किरायेदारी अधिनियम, 1948 के तहत जमीन खरीदी है। ऐसे मकान मालिक कलेक्टर की इजाजत के बिना भूमि को स्थानांतरित नहीं कर सकते।
 
6. भोगवताचर्चे नाव: निवासी का नाम
 
7. खाते क्रमांक: यह एमएलआर के तहत जारी हुई खाते पुस्तिका का अकाउंट नंबर होता है। हर जमीन मालिक को एक अकाउंट नंबर दिया जाता है, जिसमें लिखा होता है कि मालिक को कितना टैक्स चुकाना है। 
 
8. कुंदनचे नाव: किरायेदार का नाम और उसका वर्ग- कॉन्ट्रैक्ट पर रहने वाला किरायेदार या डीम्ड किरायेदार।
 
9. शेताचे स्थानिक नाव: स्थान और आकार को देखते हुए किसान अपने खेत को कोई नाम देते हैं। 
 
10. लगवडी योगिता क्षेत्र: खेती के लिए कुल योग्य भूमि।
 
7/12 एक्ट्रैक्ट को अॉनलाइन कैसे हासिल करें: अब जमीन मालिक 7/12 दस्तावेज को दो सरकारी वेबसाइट्स-Mahabhulekh और Aaple Sarkar के जरिए भी हासिल कर सकते हैं। ये एक्सट्रैक्ट्स डिजिटल साइन के साथ उपलब्ध हैं और आधिकारिक स्वामित्व दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। ये जानकारियां भरकर दस्तावेज को डाउनलोड किया जा सकता है:
 
1. वेबसाइट पर दिए गए डिविजन, जिला, तालुका या गांव का नाम
 
2. सर्वे नंबर या प्रॉपर्टी का ग्रुप नंबर
 
3.मालिक का नाम
 
4.संपत्ति का पैतृक मालिक
Last Updated: Tue May 29 2018

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